उत्तराखंड सरकार राज्य में 12 महीनों पर्यटन पर जोर दे रही है. जिससे राज्य की आर्थिकी को बढ़ावा मिल सके.
देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा साल के अंतिम पड़ाव में है. 23 अक्टूबर तक गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो जाएंगे. इसके लगभग एक महीने बाद बदरीनाथ धाम के कपाट भी बंद होंगे. चारधाम यात्रा के बाद अब राज्य की धामी सरकार ने शीतकालीन चारधाम यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी हैं. उत्तराखंड में शीतकालीन यात्रा रोमांच से भरी होती है. इस समय श्रद्धालुओं को बारिश और बर्फबारी के बीच यात्रा करनी पड़ती है. पहाड़ों की ठंड भी परीक्षा लेती है. . क्या है शीतकालीन चारधाम यात्रा? शीतकालीन चारधाम यात्रा का रूट मैप? शीतकालीन चारधाम यात्रा डेस्टिनेशन? इस बार की क्या तैयारियां हैं? आइये आपको बताते हैं.
चारों धामों में से सबसे ज्यादा श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे. इस साल केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर को सुबह 8:30 बजे शीतकाल के लिए बंद होंगे. इस दौरान बाबा केदार उखीमठ में प्रवास करेंगे. यमुनोत्री धाम के कपाट भी 23 अक्टूबर को बंद होंगे. गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्टूबर को बंद हो रहे हैं. भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को दिन में 2:56 पर बंद होंगे.
पर्यटन सचिव ने कहा इस बार की यात्रा में भले ही मानसून सीजन ने अपना कहर बरपाया है लेकिन उसके बावजूद भी चारधाम यात्रा के जोश में कोई कमी देखने को नहीं मिली है. पर्यटन सचिव धीराज गर्ब्याल ने कहा इस पूरे सीजन में तकरीबन 59 लाख लोगों ने ज्यादा में यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया था. धराली में आई आपदा के दौरान उन केवल गंगोत्री धाम के उन दो महीना को छोड़ दिया जाए तो सभी धर्मों में पिछले साल से श्रद्धालुओं में बढ़ोतरी देखने को मिली है. अभी भी यात्रियों की संख्या बढ़ेगी. उन्होंने बताया साल के आखिरी पड़ाव में भी यात्रा के बाकी बचे दिनों में तकरीबन 4 से 5 हजार लोग रोजाना यात्रा कर रहे हैं.
पर्यटन सचिव ने बताया इस पूरे सीजन में अब तक सबसे ज्यादा 20 लाख लोगों ने केदारनाथ धाम, इसके बाद 18 लाख के करीब श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ धाम के लिए रजिश्ट्रेशन करवाया. इसके अलावा 9 लाख यमुनोत्री और तकरीबन 10 लाख के करीब गंगोत्री धाम में इस साल यात्रियों ने रजिश्ट्रेशन करवाये. हेमकुंड साहिब में भी तकरीबन दो लाख लोगों ने मत्था टेका है. इस आंकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता है की इस साल यात्रा में बढ़ोतरी हुई है.
शीतकालीन चारधाम यात्रा की तैयारी: उत्तराखंड पर्यटन सचिव धीराज गर्ब्याल ने बताया अब सरकार शीतकालीन यात्रा की तैयारी में जुट गई है. पर्यटन सचिव ने बताया चारों धामों में कपाट बंद होंगे. उसके तुरंत बाद उत्तराखंड के कई इलाकों में बर्फबारी होती है. जहां विंटर टूरिज्म होता है. इसके साथ ही चारधाम के शीतकालीन गद्दी स्थलों को इससे जोड़कर शीतकालीन चारधाम यात्रा का कॉन्सेप्ट तैयार किया गया है. उन्होंने बताया शीतकालीन यात्रा में आदि कैलाश की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है.दक्षिण भारत के लोगों पिछले कुछ समय में आदि कैलाश को लेकर एक्साइटेड दिखे हैं.
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने शुरू की थी पहल: शीतकालीन यात्रा की पहल ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शुरू की थी. उन्होंने शीतकाल चारधाम यात्रा के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था. जिसके बदरी केदार मंदिर समिति और सरकार ने भी शीतकालीन यात्रा को लेकर गंभीरता दिखाई. साल 2023 में पहली बार शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ही शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू की थी. इसके बाद 8 दिसंबर 2024 को पहली बार शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू हुई. ओंकारेश्वर मंदिर में जिसका शुभारंभ सीएम धामी ने किया था.
शीतकालीन चारधाम यात्रा के डेस्टिनेशन: शीतकाल में उत्तरकाशी के खरसाली गांव (खुशीमठ) में मां यमुना की पूजा होती है. उत्तरकाशी जिले में ही भागीरथी नदी के किनारे बसे मुखबा गांव (मुखीमठ) में मां गंगा की पूजा अर्चना की जाती है. इसी तरह रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की शीतकालीन पूजा होती है. वहीं, चमोली के ज्योतिर्मठ के नृसिंह मंदिर में आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी की पूजा होती है. उद्धव एवं कुबेर जी की पांडुकेश्वर में पूजाएं होती है. शीतकालीन यात्रा में इन सभी शीतकालीन प्रवास स्थलों को जोड़ा गया है.
शीतकालीन चारधाम यात्रा के फायदे: शीतकालीन चारधाम यात्रा में भक्तों को परेशानियां भी कम होती है. भीड़भाड़ के साथ ही ट्रैफिक की समस्या भी नहीं होती. इतना ही नहीं इस दौरान शीतकालीन प्रवास स्थलों के आसपास की लोकेशन्स को भी एक्सप्लोर किया जा सकता है. उखीमठ के पास तुंगनाथ, देवरियाताल, त्रियुगीनारायण जैसे डेस्टिनेशन हैं. इन जगहों पर जाकर सर्दियों का लुत्फ उठाया जा सकता है. जोशीमठ एक हिल स्टेशन है. इसके आसपास औली जैसा विंटर डेस्टिनेशन है. औली में सर्दियों में विंटर गेम्स होते हैं. इसके अलावा भी यहां बर्फबारी का आनंद लिया जा सकता है.
शीतकालीन यात्रा में 77,093 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन: उत्तराखंड पर्यटन विभाग की मानें तो शीतकालीन यात्रा 2024-25 के दौरान 77,093 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. शीतकालीन यात्रा के दौरान महज 4 महीने में ही GMVN को 12.82 करोड़ रुपए की बुकिंग मिली. पर्यटन विभाग शीतकालीन यात्रा और एडवेंचर टूरिज्म को लिंक कर सर्किट बनाने की योजना तैयार की है. जिसके बाद शीतकाल में टूरिस्ट बढ़ने की संभावना है.
क्या है उत्तराखंड सरकार का एक्शन प्लान: उत्तराखंड सीमित संसाधनों वाला राज्य है. इसलिए उत्तराखंड सरकार राज्य में 12 महीनों पर्यटन पर जोर दे रही है. जिससे राज्य की आर्थिकी को बढ़ावा मिल सके. 12 महीनों पर्यटन से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. अभी तक उत्तराखंड में चारधाम यात्रा, सीजनल टूरिज्म, शराब, खनन से ही राजस्व मिलता है. राज्य सरकार उत्तराखंड के अध्यात्म को टूरिज्म से जोड़कर इसे बढ़ावा देने का काम कर रही है.

